White सब रिश्ते नाते हवा हो गए | जज़्बात ना जाने कह | हिंदी कविता

"White सब रिश्ते नाते हवा हो गए | जज़्बात ना जाने कहाँ खो गए || करते थे एक दूसरे की केयर निस्वार्थ | अपनेपन के भाव अब धुआँ हो गए || होता था जिनका परिवार भरा -पुरा | आज वो माँ पापा अकेले हो गए || रहते है सब अकेले अपने कमरे मे | संयुक्त परिवार ना जाने क्यों तबाह हो गए || घुमाते है कुत्ते बिल्लियाँ गोद -गाड़ी मे | पर इंसान इंसानियत से खफा हो गए || खुब होते थे हसीं ठिठोले गली कूचे मे | अब मोबाइल पर सबसे वास्ता हो गए || करते थे जो कद्र एक दूसरे इंसानो की | वो इंसान ना जाने कहाँ खो गए || सृष्टि सिंह ✍️ ©Bindass writer"

 White सब रिश्ते नाते हवा हो गए |
जज़्बात ना जाने कहाँ खो गए ||
करते थे एक दूसरे की केयर निस्वार्थ |
अपनेपन के भाव अब धुआँ हो गए ||
होता था जिनका परिवार भरा -पुरा |
आज वो माँ पापा अकेले हो गए  ||
रहते है सब अकेले अपने कमरे मे  |
 संयुक्त परिवार ना जाने क्यों तबाह हो गए ||
घुमाते है कुत्ते बिल्लियाँ गोद -गाड़ी मे |
पर इंसान इंसानियत से खफा हो गए  ||
खुब होते थे हसीं ठिठोले गली कूचे मे |
अब मोबाइल पर सबसे वास्ता हो गए ||
करते थे जो कद्र एक दूसरे इंसानो की |
वो इंसान ना जाने कहाँ खो गए ||

सृष्टि सिंह ✍️

©Bindass writer

White सब रिश्ते नाते हवा हो गए | जज़्बात ना जाने कहाँ खो गए || करते थे एक दूसरे की केयर निस्वार्थ | अपनेपन के भाव अब धुआँ हो गए || होता था जिनका परिवार भरा -पुरा | आज वो माँ पापा अकेले हो गए || रहते है सब अकेले अपने कमरे मे | संयुक्त परिवार ना जाने क्यों तबाह हो गए || घुमाते है कुत्ते बिल्लियाँ गोद -गाड़ी मे | पर इंसान इंसानियत से खफा हो गए || खुब होते थे हसीं ठिठोले गली कूचे मे | अब मोबाइल पर सबसे वास्ता हो गए || करते थे जो कद्र एक दूसरे इंसानो की | वो इंसान ना जाने कहाँ खो गए || सृष्टि सिंह ✍️ ©Bindass writer

#इंसान से इंसान की दुरी

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