हम थक गए उनसे वफ़ा करते
ना दूर जाते गर तो क्या करते
वो जाम तो पीना ही था हमको
हम साकी को कैसे ख़फ़ा करते
इज़हारे मोहोब्बत से क्या डरना
तुम बोलते उतनी दफ़ा करते
हैं भीख पर जीते खुदा की हम
किस हक़ से मुफ़्लिस को दफा करते
गर देख लेते आंख से अल्लाह
तुम मुस्तफ़ा ही मुस्तफ़ा करते