Deepansh Mittal

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धर्म मज़हब ने दिखाए दिखाए ऐसे भी मंज़र यहां अपने घर में आने पर अब, चहरा पूछा जाता है । # CAA/ NRC

 धर्म मज़हब ने दिखाए दिखाए ऐसे भी मंज़र यहां
अपने घर में आने पर अब, चहरा पूछा जाता है ।

# CAA/ NRC

धर्म मज़हब ने दिखाए दिखाए ऐसे भी मंज़र यहां अपने घर में आने पर अब, चहरा पूछा जाता है । # CAA/ NRC

12 Love

हम थक गए उनसे वफ़ा करते ना दूर जाते गर तो क्या करते वो जाम तो पीना ही था हमको हम साकी को कैसे ख़फ़ा करते इज़हारे मोहोब्बत से क्या डरना तुम बोलते उतनी दफ़ा करते हैं भीख पर जीते खुदा की हम किस हक़ से मुफ़्लिस को दफा करते गर देख लेते आंख से अल्लाह तुम मुस्तफ़ा ही मुस्तफ़ा करते

 हम थक गए उनसे वफ़ा करते 
ना दूर जाते गर तो क्या करते

वो जाम तो पीना ही था हमको
हम साकी को कैसे ख़फ़ा करते

इज़हारे मोहोब्बत से क्या डरना
तुम बोलते उतनी दफ़ा करते

हैं भीख पर जीते खुदा की हम
किस हक़ से मुफ़्लिस को दफा करते

गर देख लेते आंख से अल्लाह 
तुम मुस्तफ़ा ही मुस्तफ़ा करते

हम थक गए उनसे वफ़ा करते ना दूर जाते गर तो क्या करते वो जाम तो पीना ही था हमको हम साकी को कैसे ख़फ़ा करते इज़हारे मोहोब्बत से क्या डरना तुम बोलते उतनी दफ़ा करते हैं भीख पर जीते खुदा की हम किस हक़ से मुफ़्लिस को दफा करते गर देख लेते आंख से अल्लाह तुम मुस्तफ़ा ही मुस्तफ़ा करते

10 Love

रस्सी जल गई, पर बल नहीं निकला दिल के मसअले का, हल नहीं निकला भूल जाना चाहा, पर न पाए हम उसको सोचे बिन, इक पल नहीं निकला

 रस्सी जल गई, पर बल नहीं निकला
दिल के मसअले का, हल नहीं निकला

भूल जाना चाहा, पर न पाए हम
उसको सोचे बिन, इक पल नहीं निकला

रस्सी जल गई, पर बल नहीं निकला दिल के मसअले का, हल नहीं निकला भूल जाना चाहा, पर न पाए हम उसको सोचे बिन, इक पल नहीं निकला

14 Love

फ़िर न जाने किस, हौसले में जी रहे थे हम जब रकीबों के घोंसले में जी रहे थे हम खुदकी आवाज़ों का, खुदी पर था असर नहीं खुदसे भी काफ़ी फासले में जी रहे थे हम वो तो ऐसे भागा, गोया पिंजरे में था उसके ही तो हर फ़ैसले में जी रहे थे हम

 फ़िर न जाने किस, हौसले में जी रहे थे हम
जब रकीबों के घोंसले में जी रहे थे हम

खुदकी आवाज़ों का, खुदी पर था असर नहीं
खुदसे भी काफ़ी फासले में जी रहे थे हम

वो तो ऐसे भागा, गोया पिंजरे में था
उसके ही तो हर फ़ैसले में जी रहे थे हम

फ़िर न जाने किस, हौसले में जी रहे थे हम जब रकीबों के, घोंसले में जी रहे थे हम खुदकी आवाज़ों का, खुदी पर था असर नहीं खुदसे भी काफ़ी, फासले में जी रहे थे हम वो तो ऐसे भागा गोया पिंजरे में था उसके ही तो हर फ़ैसले में जी रहे थे हम

16 Love

हुस्न पे तंज होता है बज़्म में संज होता है जिस गली से तू गुजरे वो दौलता गंज होता है बाल नाखून से मत ठेल कंघी को रंज होता है इश्क़ को सरकशी मत बोल बेहुदा तंज होता है मायने पर्खे फिर दे दाद वो सुख़न-संज होता है

 हुस्न पे तंज होता है
बज़्म में संज होता है

जिस गली से तू गुजरे वो
दौलता गंज होता है

बाल नाखून से मत ठेल 
कंघी को रंज होता है

इश्क़ को सरकशी मत बोल
बेहुदा तंज होता है

मायने पर्खे फिर दे दाद 
वो सुख़न-संज होता है

हुस्न पे तंज होता है बज़्म में संज होता है जिस गली से तू गुजरे वो दौलता गंज होता है बाल नाखून से मत ठेल कंघी को रंज होता है

19 Love

चौथ हो जब लाख लाए, चांदी की छलनी बालम चहरा मेरा ही दिखेगा, जब भी चांद छानोगी

 चौथ हो जब लाख लाए, चांदी की छलनी बालम
चहरा मेरा ही दिखेगा,  जब भी चांद छानोगी

चौथ हो जब लाख लाए, चांदी की छलनी बालम चहरा मेरा ही दिखेगा, जब भी चांद छानोगी

21 Love

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