सुनो न! क्या तुम जानते हो ? तुम्हें पाने की अतृप्त | हिंदी कविता

"सुनो न! क्या तुम जानते हो ? तुम्हें पाने की अतृप्त कामना को हृदय में सँजोये रखने की कामना ही मेरा प्रेम है सच कहूँ ...! मैं तुम्हें पाना नहीं चाहती जानती हूँ कि पाना खोने की प्रक्रिया का प्रारम्भ है इसलिए तुम्हें खोने से ज्यादा पाने से डरती हूँ ***************** डॉ. प्रतिभा सिंह ©Dr.Pratibha Singh"

 सुनो न!
क्या तुम जानते हो ?
तुम्हें पाने की अतृप्त कामना को
हृदय में सँजोये रखने की कामना ही
मेरा प्रेम है
सच कहूँ ...!
मैं तुम्हें पाना नहीं चाहती
जानती हूँ कि
पाना खोने की प्रक्रिया का प्रारम्भ है
इसलिए 
तुम्हें खोने से ज्यादा
पाने से डरती हूँ
*****************
डॉ. प्रतिभा सिंह

©Dr.Pratibha Singh

सुनो न! क्या तुम जानते हो ? तुम्हें पाने की अतृप्त कामना को हृदय में सँजोये रखने की कामना ही मेरा प्रेम है सच कहूँ ...! मैं तुम्हें पाना नहीं चाहती जानती हूँ कि पाना खोने की प्रक्रिया का प्रारम्भ है इसलिए तुम्हें खोने से ज्यादा पाने से डरती हूँ ***************** डॉ. प्रतिभा सिंह ©Dr.Pratibha Singh

#PARENTS

People who shared love close

More like this

Trending Topic