तुम हरे पत्ते से थाम लेना मुझे....
मैं ओस की बूंद की भांति........
तुम पर गिर जाऊँगी.........
मुझे आलिंगनबद्ध कर लेना.....,
अपने पर थाम लेना मुझको.......
जब फेहरेगि सूर्यकिरण.......
मैं मोती सी चमक उठूंगी.....!!!
तुम पवन सँग क्रीड़ा करना......
ताल से ताल मिलाना........
लहलहाते हुए नृत्य करना......
मैं तुम सँग कदम मिलाऊंगी....
जब फरहरेगी सूर्यकिरण....
मैं मोती सी चमक उठूंगी....
ओस की बूंद की भांति हो जीवन मेरा.....,
तुमसे शुरू तुम पर ही अंत हो.............,
तुम पर ही रोशन होना.......
तुम पर ही निस्तब्ध हो......
जब आए भरी दोपरहिया...
मैं पवन में विलीन हो जाऊंगी......,
वो वियोग विछोह की पीड़ा लिए.......
तुमपर अपनी ऊष्मा छोड़ जाऊँगी...............
जब फेहरेगी सूर्यकिरण......
मैं मोती सी चमक उठूंगी........!!!!
©Priyanjali
तुम हरे पत्ते से थाम लेना मुझे....
मैं ओस की बूंद की भांति........
तुम पर गिर जाऊँगी.........
मुझे आलिंगनबद्ध कर लेना.....,
अपने पर थाम लेना मुझको.......
जब फेहरेगि सूर्यकिरण.......
मैं मोती सी चमक उठूंगी.....!!!