"माँ आँसू तेरे,अपनी आंखों में लिए रो लेती है माँ
भूख तेरी,अपने पेट मे सजा लेती है माँ
भूल न जाना उस माँ की ममता के समंदर को
तेरी दुख की नदियों को अपने मे समा लेती है माँ
◆लेखकराज"
माँ आँसू तेरे,अपनी आंखों में लिए रो लेती है माँ
भूख तेरी,अपने पेट मे सजा लेती है माँ
भूल न जाना उस माँ की ममता के समंदर को
तेरी दुख की नदियों को अपने मे समा लेती है माँ
◆लेखकराज