मोदी जी देश का युवा पकौड़े भी तल रहा था
ओर पैसे भी कमा रहा था।
पर अब ना तो कोई उनके पकौडे खा रहा है
ओर ना ही वो पकौडे बेच पा रहे है
तो अब वो कहां से दुकान का किराया भरेगा?
ओर कहा से अपना घर चलाएगा?
◆ पकौडे वाला
माँ आँसू तेरे,अपनी आंखों में लिए रो लेती है माँ
भूख तेरी,अपने पेट मे सजा लेती है माँ
भूल न जाना उस माँ की ममता के समंदर को
तेरी दुख की नदियों को अपने मे समा लेती है माँ
◆लेखकराज
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