सुबह उठकर वो नास्ता बनाती है
खुद खाने की फिक्र न कर,
मुझे डॉट कर खिलाती है
वो मां है इसलिए ये सब कर पाती है
चोट मुझे जो लगता है
वो महसूस कर जाती है,
फिर वो हँसकर हमे उस
दर्द से लड़ना सिखाती है
वो माँ है इसलिए ये सब कर पाती है
कोई बोले उसे तो वो सह जाती है
मेरी तरफ उंगली उठ जाए किसी की,
वो खुदा तक से लड़ जाती है
वो माँ है इसलिए ये सब कर पाती है
खुद भूखा सो कर भी,
हमे भर पेट खिलाती है,
वो माँ है इसलिए ये सब कर पाती है
हमे नींद न आये जब रातों में
वो खुद जग कर हमें सुलाती है,
बैठे बैठ वो खुद सो जाती है,
वो माँ है इसलिए ये सब कर पाती है।
©abhinay sahu
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