कलम (दोहे)
कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम।
पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।।
दुर्जन इससे काँपते, होती सम तलवार।
एक बार की चोट में, घायल कई हजार।।
उत्तम लेखन भी करे, सबको होती आस।
यही कलम की जिंदगी, है सबकी यह खास।।
बिना कलम के जिंदगी, है बिलकुल वीरान।
इससे ही रचना बने, और करे ऐलान।।
शब्दों से मन मोहती, यह इसकी पहचान।
अकसर देती है खुशी, करती भी हैरान।।
यही कलम औजार भी, और पुष्प की माल।
कहती है सद्भावना, करती बड़ा कमाल।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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कलम (दोहे)
कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम।
पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।।
दुर्जन इससे काँपते, होती सम तलवार।