तन्हा होना शौक नहीं मजबूरी थी जिस महफ़िल में शब्द | हिंदी शायरी

"तन्हा होना शौक नहीं मजबूरी थी जिस महफ़िल में शब्द लुटाए उससे दूरी जरूरी थी । बातों में उनके नजर आया करता था फिक्र ए दोस्ती असल में दूर तल्क नही थे हम ज़िक्र ए दोस्ती में । ©Dr.Govind Hersal"

 तन्हा होना शौक नहीं मजबूरी थी 
जिस महफ़िल में शब्द लुटाए उससे दूरी जरूरी थी ।

बातों में उनके नजर आया करता था फिक्र ए दोस्ती 
असल में दूर तल्क नही थे हम ज़िक्र ए दोस्ती में ।

©Dr.Govind Hersal

तन्हा होना शौक नहीं मजबूरी थी जिस महफ़िल में शब्द लुटाए उससे दूरी जरूरी थी । बातों में उनके नजर आया करता था फिक्र ए दोस्ती असल में दूर तल्क नही थे हम ज़िक्र ए दोस्ती में । ©Dr.Govind Hersal

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