White हर प्रकार से खुद को सरल कर लेना
जीवन जीने की कलाओं में से एक है ,
बहुत ही कठिन से सवाल का जवाब कभी कभी
बहुत आसान भी हो सकता है लेकिन हम उसे
मानने को राजी नही होते की इतना आसान कैसे हो सकता है
हमे आदत पड़ गयी है गहरा और क्लिष्ट सोचने की ।
जीवन की हर बात को गहराई तक ले जा रहें हैं
जबकि जीवन का मजा सतह पर है .
जितना अंदर खुद को सोचते जाएंगे हो सकता है
वैचारिक दलदल में फसते जाएं ,
हर इंसान अपने भीतर ना जाने कितनी
बेतरतीब से बिखरा पड़ा है
अंदर से सब काँच की तरह टूटे हुए हैं
फिर भी हाथ में पत्थर लिये फिर रहे हैं ।
©Dr.Govind Hersal
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here