कितना मुश्किल होता है नए रिश्तों का बनना और आखिरी | हिंदी शायरी Video

"कितना मुश्किल होता है नए रिश्तों का बनना और आखिरी सांस तक निभाना सोचता हूँ तो सिहर जाता हूँ क्योंकि सवाल सोचता ही क्यों हूँ सोचना होता है आज मबहन की शादी है कल बेटी को भी विदाई होगी जब किसी को लाया था घर अपने तब शायद नही सोच पाया था आज लगता है जिगर का टुकड़ा अनजान के हाथों सौप रहा हूँ मगर सिर्फ फफक सकता हूँ रोक नही सकता क्योंकि यही परंपरा है यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर ©ranjit Kumar rathour "

कितना मुश्किल होता है नए रिश्तों का बनना और आखिरी सांस तक निभाना सोचता हूँ तो सिहर जाता हूँ क्योंकि सवाल सोचता ही क्यों हूँ सोचना होता है आज मबहन की शादी है कल बेटी को भी विदाई होगी जब किसी को लाया था घर अपने तब शायद नही सोच पाया था आज लगता है जिगर का टुकड़ा अनजान के हाथों सौप रहा हूँ मगर सिर्फ फफक सकता हूँ रोक नही सकता क्योंकि यही परंपरा है यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर ©ranjit Kumar rathour

यही है दस्तूर

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