ranjit Kumar rathour

ranjit Kumar rathour Lives in Godda, Jharkhand, India

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इन पेड़ों से रिश्ता है मेरा कभी हर सुबह आता था सबसे पहले तलाशने एक आम जो पानी मे होता उसे पाकर जितनी खुशी मिलती उसे बता पाना मुश्किल है आज इनकी हालात पे रोना आया सिर्फ ठूंठ रह गयी है अब लोग इंतज़ार में है गिर जाने का शायद जलावन की दरकार होगी तू गिरना नही मुझे तुम्हे देखना हा अच्छा लगता है तू मेरी दादी सी है शायद दादा ने तुझे सींचा होगा तू रहना अभी सालों साल जब घर जाऊं तो तुझे देखना है हमे महशुस करना है ©ranjit Kumar rathour

#कविता  इन पेड़ों से रिश्ता है मेरा
कभी हर सुबह आता था
सबसे पहले तलाशने
एक आम जो पानी मे होता
उसे पाकर जितनी खुशी मिलती
उसे बता पाना मुश्किल है
आज इनकी हालात पे रोना आया
सिर्फ ठूंठ रह गयी है अब
लोग इंतज़ार में है गिर जाने का
शायद जलावन की दरकार होगी
तू गिरना नही मुझे तुम्हे देखना
हा अच्छा लगता है
तू मेरी दादी सी है
शायद दादा ने तुझे सींचा होगा
तू रहना अभी सालों साल
जब घर जाऊं तो तुझे
देखना है हमे महशुस करना है

©ranjit Kumar rathour

तू रहना अभी

13 Love

#कविता  White माँ तेरे बगैर
घर खाली लगता है
ऐसा कम ही होता
की तू नही होती है
तेरी तबियत नासाज है
तू छोटे के पास है
घर मे खुशी के पल है
सब नाच गा रहे है
लेकिन घर आया
निकली मुह से माँ
मेरी कमीज
तौलिया कहा है
ब्रश नही मिल रही
फिर याद आया माँ
घर पर नही है
इसी लिए तो माँ को
हा माँ को घर कहते है

©ranjit Kumar rathour

माँ को घर कहते है

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#शायरी  कितना मुश्किल होता है
नए रिश्तों का बनना
और  आखिरी सांस तक निभाना
सोचता हूँ तो
सिहर जाता हूँ क्योंकि
सवाल सोचता ही क्यों हूँ
सोचना होता है
आज मबहन की शादी है
कल बेटी को भी विदाई होगी
जब किसी को लाया था घर अपने
तब शायद नही सोच पाया था
आज लगता है जिगर का टुकड़ा
अनजान के हाथों सौप रहा हूँ
मगर सिर्फ फफक सकता हूँ
रोक नही सकता
क्योंकि यही परंपरा है
यही है दस्तूर
हा यही है दस्तूर

©ranjit Kumar rathour

यही है दस्तूर

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#कविता  बस आज तक
हा आज ही तक
कल कही औऱ
किसी और संग
सब खुश है
मैं भी उसी में हु
लेकिन ये सब कुछ
इतना आसान है क्या
सोच कर डर जाती हूँ
लेकिन यही सच है
सब ने मां लिया है
और मुझे मानना ही है
सदियो से होता आया है
सबके साथ इसलिए
मुझे भी जाना होगा
कितना कुछ छूट जाएगा
किसी को क्या
मेरे दोस्त 
मेरे छोटे प्यारे
अब कभी कभी आना होगा
अतिथियों की तरह
मुझ पर मेरा बस नही होगा
किसी और कि अमानत
कहलाऊंगी मैं
बेटी हु न पराई हु न
हा पराई हूँ

©ranjit Kumar rathour

पराई हूँ न

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#कविता #eidmubarak  Black ईद मुबारक
सैकड़ो संदेश भरे पड़े थर
इनबॉक्स में
लेकिन एक संदेश ऐसा था
मेरे बेटे का
पापा किसी ने सेवइयां नही दी
पिछले साल की तरह
दर असल वो शहर छूट चुका था
अब नए शहर में था
बेटे ने कहा एहतेशाम चाचू वाला
सेवइयां ला दो न
मम्मी को बोलो न बना देगी
इन बच्चों ने यादे ताजा कर दी
सालो पुरानी वाली
और फिर सब कुछ नजर के सामने था 
नही थी तो वो दोस्त
वो शहर वो घर
ढेर सारा प्यारा सभी को
ईद मुबारक क्योकि सब कुछ जिंदा है
यादों में स्वाद के रूप में
हमारे बच्चों में

©ranjit Kumar rathour

#eidmubarak

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#शायरी  कितना बदल गयी है वो
अब ना नही करती है
कुछ कहो तो मान जाती है
दोस्तो को नाराज नही करती
पास बुलाओ आ जाती है
तस्वीर भी खिंचा लेती है
कोई संकोच नही कोई गिला नही
मानो उसे भी एहसास है
सालो का साथ जो रहा कभी
अब चंद दिनो का अवशेष है
अब ये वक्त मीले न मिले
सो जी लेते है हम सब
थोड़ी शरारत थोड़ा मजाक
सब चलता है भला जिंदगी में 
कहा यारो का साथ मिलता है
तेरी यही अदा तो हमे भाती है
तू मेरी ही नही 
तू तो हम सबका साथी है
ये बातों के सिलसिला भी
न पता कब थम जाए
जो है आज तक है
डरता हूँ ये था न हो जाये
हा ये था न हो जाये

©ranjit Kumar rathour

साथ है से था हो जाये

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