White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ क | हिंदी कविता

"White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya"

 White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

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