White हो न मुलाकात ऐसी,
बेवज़ह की बात जैसी,
चाँदनी सी हमसफ़र हो,
पूर्णिमा के रात जैसी,
हो मिलन का वक़्त लंबा,
दिवस के शुरुआत जैसी,
बोल कड़वे लगे सबको,
हृदय पर आघात जैसी,
दर्द और मुस्कान दोनों,
हम-नवा दिन-रात जैसी,
बिन लड़े ही हार जाना,
कष्टप्रद है मात जैसी,
बेबसी क्या चीज 'गुंजन',
गरीबों के खाट जैसी,
--शशि भूषण मिश्र
'गुंजन' चेन्नई
©Shashi Bhushan Mishra
#हो न मुलाक़ात ऐसी#