हां मैं कर चुकी कर चुकी हूं हां मैं, सजाने को म | हिंदी Poetry Video

"हां मैं कर चुकी कर चुकी हूं हां मैं, सजाने को मांग में सिंदूर। कैसा होगा साजन, छोड़ आई बात नसीबों पर। मान सम्मान की चाहत लेकर। थाम हाथ निकल पड़ी । सपनों की मंजिल पर चलने को हां मैं कर चुकी। लाल चुनर ओढ़ कर पीहर की दहलीज से मैं निकल पड़ी। साथ कैसा होगा साजन का, बात मैं नसीब पर छोड़ चली। प्रतिभा जैन उज्जैन मध्य प्रदेश ©Pratibha Jain "

हां मैं कर चुकी कर चुकी हूं हां मैं, सजाने को मांग में सिंदूर। कैसा होगा साजन, छोड़ आई बात नसीबों पर। मान सम्मान की चाहत लेकर। थाम हाथ निकल पड़ी । सपनों की मंजिल पर चलने को हां मैं कर चुकी। लाल चुनर ओढ़ कर पीहर की दहलीज से मैं निकल पड़ी। साथ कैसा होगा साजन का, बात मैं नसीब पर छोड़ चली। प्रतिभा जैन उज्जैन मध्य प्रदेश ©Pratibha Jain

कर चुकी हूं हां मैं

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