White जैसे आती है दुआ लब पे है ऐसे आई
वह तेरा नाम तेरी याद और तन्हाई
तेरे दिल में कमोबेश रह गया हूं मैं
या मेरे दिल से यूं ही कोई सदा आई।
रात को उठ के हिचिकिया तू भी लेता है
सुबह तलक फिर तुझको भी नींद ना आई
बस इसी चाह में औरत बनी रही औरत
जुबां पे बच्चों की पहली पहल है मां आई
आग है निकली अभी बेसाख्ता दरिया से
सफेद साड़ी में लड़की कोई नहा आई
कोई लड़का खुली किताब है जिसके लिए
फाड़ के पन्ने वही नाव है बना लाई।
अब तो शादी के पहले हुए सारे लफड़े
दूसरी शादी हुआ करती थी कभी सगाई
चारों कांधे कम पड़ने लगे घर के लिए
पूरी पड़ती रही है बस बाप की कमाई
मिन्नतें करके ओयो में लाने के बाद
लड़का बोल पड़ा लड़की से बेहया आई
©निर्भय निरपुरिया
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