निर्भय निरपुरिया

निर्भय निरपुरिया

Nirbahay.kumarsingh1@insta अभी जिंदा हूँ मैं, अभी शब्द आते है मेरे घर, नगमे,ग़ज़लें, शेर ले कर। अभी लिख सकता हो, मैं अपने जज्बात। जो कभी कह नही पता तुमसे। तुमसे बिछड़ने के बाद, ज्यादा पुख्ता हो गई है चाहत। तुम्हे यकीन न हो मगर। अभी जिंदा हूँ मैं।

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#शायरी #good_night  White सफर में अब बदलते हैं,
यहां पर हमसफर देखो।
नजारे देखने वाले सुनो
अपना भी घर देखो।।

छतों से बहता हुआ सावन,
तुम्हें पसंद हो शायद।
मगर देखो कभी नदी,
कभी मिट्टी का घर देखो।

तेरे ख्याल सच्चे हैं,
रदीफ भी अच्छा है।
पहले देखो जरा नुक्ते 
कोई छोटी बहर देखो।

©निर्भय निरपुरिया

#good_night

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#शायरी #love_shayari  White ये बात आम बहुत हो रहा है। 
करो तमाम  बहुत हो रहा है ।

कुछ झूठे लोग रखो  उस पर
उसका नाम बहुत हो रहा है। 

चमचे क्रांतिकारी बने हैं
शायद काम बहुत हो रहा है।

किसी अमीर का धंधा हुआ है 
फलों का दाम बहुत हो रहा है ।

तू पलकें मूंद ले दफा हो जा 
मुझे ये जाम बहुत हो रहा है ।

रंगे  सियार बहुत हो रहे हैं 
खुल्ला हमाम बहुत हो रहा है 

मजाक हद में ठीक है निर्भय 
अब गुलफाम  बहुत हो रहा है।

©निर्भय निरपुरिया

#love_shayari

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White गया क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में। जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में। खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में । फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ । बची हुई है ये दौलत मेरे खजाने में यकीन तेरी बफाओं का अब भी करता पर वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में अभी तो भा गया हमको ये दिल का वीराना बहुत ही देर लगा दी हुजूर आने में हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में ©निर्भय निरपुरिया

#शायरी #Sad_Status  White गया  क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में।
जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में।

खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो 
मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में ।

फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ  ।
बची हुई है ये दौलत मेरे  खजाने में 

यकीन तेरी  बफाओं का अब भी करता पर 
वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में 

अभी तो भा गया  हमको ये दिल का वीराना 
बहुत ही देर  लगा दी हुजूर आने में

हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था
हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में

©निर्भय निरपुरिया

White जैसे आती है दुआ लब पे है ऐसे आई वह तेरा नाम तेरी याद और तन्हाई तेरे दिल में कमोबेश रह गया हूं मैं या मेरे दिल से यूं ही कोई सदा आई। रात को उठ के हिचिकिया तू भी लेता है सुबह तलक फिर तुझको भी नींद ना आई बस इसी चाह में औरत बनी रही औरत जुबां पे बच्चों की पहली पहल है मां आई आग है निकली अभी बेसाख्ता दरिया से सफेद साड़ी में लड़की कोई नहा आई कोई लड़का खुली किताब है जिसके लिए फाड़ के पन्ने वही नाव है बना लाई। अब तो शादी के पहले हुए सारे लफड़े दूसरी शादी हुआ करती थी कभी सगाई चारों कांधे कम पड़ने लगे घर के लिए पूरी पड़ती रही है बस बाप की कमाई मिन्नतें करके ओयो में लाने के बाद लड़का बोल पड़ा लड़की से बेहया आई ©निर्भय निरपुरिया

#शायरी #Hope  White जैसे आती  है दुआ लब पे है ऐसे आई
वह तेरा नाम तेरी याद और तन्हाई

तेरे दिल में  कमोबेश रह गया हूं मैं
या मेरे दिल से यूं ही कोई सदा आई। 

रात को उठ के हिचिकिया तू भी लेता है 
सुबह तलक फिर तुझको भी नींद ना आई 

बस इसी चाह में औरत बनी रही औरत
जुबां पे बच्चों की पहली पहल है मां आई

आग है निकली अभी बेसाख्ता दरिया से
सफेद साड़ी में लड़की कोई नहा आई 

कोई लड़का खुली किताब है जिसके लिए
फाड़ के पन्ने वही नाव  है बना लाई। 

अब तो शादी के पहले  हुए सारे लफड़े 
दूसरी  शादी हुआ करती थी कभी सगाई 

चारों कांधे  कम पड़ने लगे घर के लिए 
पूरी पड़ती रही है बस बाप की कमाई 

मिन्नतें करके ओयो  में लाने के बाद 
लड़का बोल पड़ा लड़की से बेहया आई

©निर्भय निरपुरिया
#शायरी #GoodMorning  White दर्द  की दवा भी मरीज़ बतावे।
यह हकीम कौन तरीज़ बतावे।।

एक तरफा रास्ता है ये दिल का।
बेवफा इसे भी अरीज़ बतावे।।

दिल किसी नबाब का नोचने को है।
मूल्ला हरम कु  हरीज़ बतावे।

क्या गजल कहूं बोल उस बदन पर 
अंधा जिसका हुस्न  करीज़ बतावे।

©निर्भय चौहान

White हम सफर के वास्ते सामान थे।। मंजिलों से आपकी अनजान थे।। इश्क के सब रास्ते थे अजनबी। इसके किनारों पे बहुत दुकान थे। ©निर्भय चौहान

#शायरी #mountain  White हम सफर के वास्ते सामान थे।।
मंजिलों से आपकी अनजान थे।।

इश्क के सब रास्ते थे अजनबी।
इसके किनारों पे बहुत दुकान थे।

©निर्भय चौहान

#mountain

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