White
गहराइयों में फंसी आज में कहा खड़ी हूं
जो सोचा था उसके बिल्कुल
विपरीत खड़ी दिख रही हूं
ज्यादा खुश तो नहीं मैं मगर उदास भी ज्यादा नहीं हूं
पर मन्न से जो चाहत के वो सारे सपने
जैसे एक पानी के जहाज़ के संग से भह गए हो
एक खुशनुमा ज़िंदगी जैसे मैं जीना भूल गई हूं
नहीं रह पारी मैं जैसे अंदर ही अंदर
कही परेशानियों को झेल रही हूं।
✓Ishitav
@poetrysoul_999
©Ishita Verma
#emotional_sad_shayari