कहानी हम लिखते नहीं
बस पात्र निभाया करते है
पूर्व जन्म के कर्मों के
हम ऋण को उतारा करते है
ये कर्म ही हेतू बनते है
की जीवन ये कैसा बीतेगा
क्या सुख की बेला छायेगी
या दुख का सागर छलकेगा
वो ऊपर बैठा ईश्वर भी
इस बात को मन से सोचेगा
कि क्या तू पुण्य कमाता है
या पापों का घड़ा छलकायेगा
©Aashish Vyas
#DiyaSalaai