सागर मंथन सा लग रहा है ये साल... इतना विष निकल रहा | हिंदी विचार

"सागर मंथन सा लग रहा है ये साल... इतना विष निकल रहा है, तो अमृत भी जरूर निकलेगा..... उभरेंगे इस विपदा से हम सब, इस मुश्किल का भी हल जरूर निकलेगा.... भले गर्दिश में हैं सितारे आज इंसा के, पर सुख का सूरज कल जरूर निकलेगा...."

 सागर मंथन सा लग रहा है ये साल...
इतना विष निकल रहा है,
तो अमृत भी जरूर निकलेगा.....
उभरेंगे इस विपदा से हम सब, 
इस मुश्किल का भी हल जरूर निकलेगा....
भले गर्दिश में हैं सितारे आज इंसा के, 
पर सुख का सूरज कल जरूर निकलेगा....

सागर मंथन सा लग रहा है ये साल... इतना विष निकल रहा है, तो अमृत भी जरूर निकलेगा..... उभरेंगे इस विपदा से हम सब, इस मुश्किल का भी हल जरूर निकलेगा.... भले गर्दिश में हैं सितारे आज इंसा के, पर सुख का सूरज कल जरूर निकलेगा....

सागर मंथन सा लग रहा है ये साल...
इतना विष निकल रहा है,
तो अमृत भी जरूर निकलेगा.....
उभरेंगे इस विपदा से हम सब,
इस मुश्किल का भी हल जरूर निकलेगा....
भले गर्दिश में हैं सितारे आज इंसा के,
पर सुख का सूरज कल जरूर निकलेगा....

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