आघात (दोहे)
आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात।
पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।।
जीवन में उलझन बड़ी, रहती है दिन रात।
कैसे करूँ बखान मैं, मिलता है आघात।।
समाधान जब हो कभी, मिलता है आराम।
मुक्ति मिले आघात से, संकट है नाकाम।।
देता जब कोई कभी, हमको है आघात।
व्याकुल मन उसका रहे, खाता भी वह मात।।
दें वो ही आघात हैं, जिस पर हो विश्वास।
धन के लोभी से हमें, रहे न कोई आस।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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आघात (दोहे)
आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात।
पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।।
जीवन में उलझन बड़ी, रहती है दिन रात।
कैसे करूँ बखान मैं, मिलता है आघात।।
समाधान जब हो कभी, मिलता है आराम।
मुक्ति मिले आघात से, संकट है नाकाम।।
देता जब कोई कभी, हमको है आघात।
व्याकुल मन उसका रहे, खाता भी वह मात।।
दें वो ही आघात हैं, जिस पर हो विश्वास।
धन के लोभी से हमें, रहे न कोई आस।।
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देवेश दीक्षित
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