क्या लिखूं दोस्तों के नाम , लफ्ज़ कम पङ जाऐंगे । | हिंदी शायरी

"क्या लिखूं दोस्तों के नाम , लफ्ज़ कम पङ जाऐंगे । अगर लिख दूँ तारिफ में उनके पूरी किताब ,तब भी कम रह जाऐंगे । ऐसे तो मुँह पे गालियाँ देते हैं हजार, पर दिल में उनके होता है हमारे लिए सिर्फ़ प्यार। हँसाने से ज्यादा वो रूलाना पसंद करते हैं , पर जब भी आएं हमारे पलकों पे आंसू हाथों में लिए रूमाल सबसे पहले वही आते हैं। -अमन मिश्रा"

 क्या लिखूं दोस्तों के नाम ,
लफ्ज़ कम पङ 
जाऐंगे ।
अगर लिख दूँ तारिफ में उनके पूरी किताब ,तब भी कम रह जाऐंगे ।

ऐसे तो मुँह पे गालियाँ देते हैं हजार,
पर दिल में उनके होता है हमारे लिए सिर्फ़ प्यार। 
हँसाने से ज्यादा वो रूलाना पसंद करते हैं ,
पर जब भी आएं हमारे पलकों पे आंसू 
हाथों में लिए रूमाल सबसे पहले वही आते हैं। 
                     -अमन मिश्रा

क्या लिखूं दोस्तों के नाम , लफ्ज़ कम पङ जाऐंगे । अगर लिख दूँ तारिफ में उनके पूरी किताब ,तब भी कम रह जाऐंगे । ऐसे तो मुँह पे गालियाँ देते हैं हजार, पर दिल में उनके होता है हमारे लिए सिर्फ़ प्यार। हँसाने से ज्यादा वो रूलाना पसंद करते हैं , पर जब भी आएं हमारे पलकों पे आंसू हाथों में लिए रूमाल सबसे पहले वही आते हैं। -अमन मिश्रा

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