राजनीति में बँटते लोग, जात-पात को रटते लोग, बं | हिंदी शायरी

"राजनीति में बँटते लोग, जात-पात को रटते लोग, बंटवारा निदान कैसे है, बेजा स्वार्थ भटकते लोग, घात और प्रतिघात साधते, बात फिजूल अटकते लोग, सच्चाई से दूर भागकर, अपनी जगह दुबकते लोग, दिल की गहराई में जाकर, तन्हा रोज सुबकते लोग, गैरों के संग गलबहियां कर, अपनों से ही कटते लोग, दुनिया एक अखाड़ा 'गुंजन', चलकर चाल पटकते लोग, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 राजनीति  में  बँटते लोग, 
जात-पात को रटते लोग,

बंटवारा  निदान  कैसे  है, 
बेजा स्वार्थ भटकते लोग,

घात और प्रतिघात साधते, 
बात फिजूल अटकते लोग,

सच्चाई   से  दूर  भागकर, 
अपनी जगह दुबकते लोग,

दिल की गहराई में जाकर, 
तन्हा  रोज  सुबकते  लोग,

गैरों के संग गलबहियां कर, 
अपनों  से  ही  कटते  लोग,

दुनिया एक अखाड़ा 'गुंजन',
चलकर चाल  पटकते लोग,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

राजनीति में बँटते लोग, जात-पात को रटते लोग, बंटवारा निदान कैसे है, बेजा स्वार्थ भटकते लोग, घात और प्रतिघात साधते, बात फिजूल अटकते लोग, सच्चाई से दूर भागकर, अपनी जगह दुबकते लोग, दिल की गहराई में जाकर, तन्हा रोज सुबकते लोग, गैरों के संग गलबहियां कर, अपनों से ही कटते लोग, दुनिया एक अखाड़ा 'गुंजन', चलकर चाल पटकते लोग, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#राजनीति में बँटते लोग#

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