White फिसल कर हाथ से ज़ब गिरा वो कांच का गिलास टूटन | हिंदी शायरी

"White फिसल कर हाथ से ज़ब गिरा वो कांच का गिलास टूटने का दर्द मात्र वही समझ सकता हैं वो टूट जाने का दर्द, वापस फ़िर से न जुड़ पाने का दर्द टूटकर बिखर जाने का और बिखकर चूर-चूर हो जाने का दर्द यूहीं कुछ हमारा रिश्ता भी था शायद तुमने भी डोर कसकर पकड़ी होती टूटी हुई चीजे और टूटे हुए रिश्ते दर्द बहुत देते हैं जोड़ने जाओगे अगर तो केवल चुभते हैं। ©nikita kothari"

 White फिसल कर हाथ से ज़ब गिरा वो कांच का गिलास
टूटने का दर्द मात्र वही समझ सकता हैं
वो टूट जाने का दर्द, वापस फ़िर से न जुड़ पाने का दर्द
टूटकर बिखर जाने का और
बिखकर चूर-चूर हो जाने का दर्द
यूहीं कुछ हमारा रिश्ता भी था
शायद तुमने भी डोर कसकर पकड़ी होती
टूटी हुई चीजे और टूटे हुए रिश्ते दर्द बहुत देते हैं
जोड़ने जाओगे अगर तो केवल चुभते हैं।

©nikita kothari

White फिसल कर हाथ से ज़ब गिरा वो कांच का गिलास टूटने का दर्द मात्र वही समझ सकता हैं वो टूट जाने का दर्द, वापस फ़िर से न जुड़ पाने का दर्द टूटकर बिखर जाने का और बिखकर चूर-चूर हो जाने का दर्द यूहीं कुछ हमारा रिश्ता भी था शायद तुमने भी डोर कसकर पकड़ी होती टूटी हुई चीजे और टूटे हुए रिश्ते दर्द बहुत देते हैं जोड़ने जाओगे अगर तो केवल चुभते हैं। ©nikita kothari

#sad_shayari

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