लिखते लिखते अक्सर मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं  जब | हिंदी Shayari

"लिखते लिखते अक्सर मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं  जब भी तुझे देखते हैं मेरे कदम वही ठहर जाते हैं  तुम यू बिंदी और काजल लगाकर न निकला करो मेरी धड़कन क्या सासें भी चुराकर ले जाती हो ©दिल से शायरी"

 लिखते लिखते अक्सर मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं 

जब भी तुझे देखते हैं मेरे कदम वही ठहर जाते हैं 

तुम यू बिंदी और  काजल  लगाकर न निकला करो

मेरी धड़कन क्या सासें भी चुराकर ले जाती हो

©दिल से शायरी

लिखते लिखते अक्सर मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं  जब भी तुझे देखते हैं मेरे कदम वही ठहर जाते हैं  तुम यू बिंदी और काजल लगाकर न निकला करो मेरी धड़कन क्या सासें भी चुराकर ले जाती हो ©दिल से शायरी

बिंदी काजल

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