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लिखते लिखते अक्सर मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं जब भी तुझे देखते हैं मेरे कदम वही ठहर जाते हैं तुम यू बिंदी और काजल लगाकर न निकला करो मेरी धड़कन क्या सासें भी चुराकर ले जाती हो ©दिल से शायरी
दिल से शायरी
9 Love
लब खामोश हैं दोनो के ,आंखें भी चुप चाप सी हैं एक एहसास हैं दोनो के दरमियान ,बस इसी का नाम तो प्यार हैं कहने को हैं कितना कुछ ,पर लफ्ज़ की गुमनाम से हैं बिन कहे ही हम तुम समझे सब,शायद इसी का नाम तो प्यार हैं ©दिल से शायरी
16 Love
आशिकी अब मेरे बस की बात नहीं जान लेवा हैं होती हैं ये दिल की लगी बस उसका एक चेहरा मुझे अपना सा लगता हैं और बाकी सारी दुनिया मेरे लिए अजनबी ©दिल से शायरी
14 Love
छिपा रखा हैं न जाने क्या क्या उसने अपनी आंखों में एक अजीब सी हलचल हैं न जाने क्यों उसकी बातों में आंखों के सामने होकर भी वो कही ओंझल रहते हैं एक प्यारा सा ख्वाब हैं एक अजीब सी पहेली हैं वो ©दिल से शायरी
15 Love
इश्क में हमने खुदा बना लिया तुम्हे ।। दर्द को ही दावा बना लिया हमने । अब इस का अंजाम चाहे जो भी हो ।। अपने हिस्से का इश्क तो निभा लिया हमने । ©दिल से शायरी
नजरो में मेरी बस एक तू ही बसा हैं । न जाने सनम ये तेरा कैसा नशा हैं ।। तेरी चाहत में न जाने क्या क्या सहा हैं मैंने। फिर भी इस दिल को बस तेरा ही नशा हैं ।। ©दिल से शायरी
13 Love
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