तेरी याद में लिखी जो ग़ज़ल वो गुनगुनाऊँ क्या, लफ़्ज़ों | हिंदी Love
"तेरी याद में लिखी जो ग़ज़ल वो गुनगुनाऊँ क्या,
लफ़्ज़ों में कैसे पिरोया है तुझे, वो बताऊँ क्या।
हर अश'आर अधूरे लगे, तुम जो नहीं पास मेरे-
कि बनाने काफ़िया, आज फिर तुम्हें बुलाऊँ क्या।।
श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'"
तेरी याद में लिखी जो ग़ज़ल वो गुनगुनाऊँ क्या,
लफ़्ज़ों में कैसे पिरोया है तुझे, वो बताऊँ क्या।
हर अश'आर अधूरे लगे, तुम जो नहीं पास मेरे-
कि बनाने काफ़िया, आज फिर तुम्हें बुलाऊँ क्या।।
श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'