श्वेता अग्रवाल

श्वेता अग्रवाल

मैं कौन हूँ,क्या सोचती हूँ,,इसका उत्तर मेरी कलम है। "बस इतना सा ख़्वाब" मेरी पहली एकल पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध है

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#श्वेता #first_love #Original #Feeling #myvoice #Song   







दिल के अरमानों का क्यों आशियाना उजड़ता है।।

तेरी याद में लिखी जो ग़ज़ल वो गुनगुनाऊँ क्या, लफ़्ज़ों में कैसे पिरोया है तुझे, वो बताऊँ क्या। हर अश'आर अधूरे लगे, तुम जो नहीं पास मेरे- कि बनाने काफ़िया, आज फिर तुम्हें बुलाऊँ क्या।। श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

#श्वेता #feelings #nojota  तेरी याद में लिखी जो ग़ज़ल वो गुनगुनाऊँ क्या,
लफ़्ज़ों में कैसे पिरोया है तुझे, वो बताऊँ क्या।
हर अश'आर अधूरे लगे, तुम जो नहीं पास मेरे-
कि बनाने काफ़िया, आज फिर तुम्हें बुलाऊँ क्या।।

श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

आँखों से बिछड़कर, लबों से टकरा गया। हर कतरा मोहब्बत का, दिल से दफा किया। -श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

#श्वेता_अग्रवाल #श्वेता #LookingDeep #Broken  आँखों से बिछड़कर, लबों से टकरा गया।
हर कतरा मोहब्बत का, दिल से दफा किया।

-श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

हुई समंदर उसकी आँखें, मैं साहिल ढूँढता हूँ, अश्क के प्रतिबिंब में झाँक, कातिल ढूँढता हूँ। अल्फ़ाज़ यूँ अटक गये हैं, सूखे अधरों पर उसके, किसने चुराई लाली होठों की, संगदिल ढूँढता हूँ। उलझी हैं जुल्फें, और बिखरे हैं उसके जज़्बात, क्यों आसान नहीं सुलझाना, मुश्किल ढूँढता हूँ। नाज़ुक बदन पर , नाखून के निशां दागे दर्दनाक, लूटकर आबरू कौन भागा, वो बुज़दिल ढूँढता हूँ। ए 'ग़ज़ल' क्यों मौन है, सन्नाटे को चीर के चीख, छलनी किया जिसने ये दिल , वो बेदिल ढूँढता हूँ। श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

#श्वेता_अग्रवाल #Life_experience #thought #girl  हुई समंदर उसकी आँखें, मैं साहिल ढूँढता हूँ,
अश्क के प्रतिबिंब में झाँक, कातिल ढूँढता हूँ।

अल्फ़ाज़ यूँ अटक गये हैं, सूखे अधरों पर उसके,
किसने चुराई लाली होठों की, संगदिल ढूँढता हूँ।

उलझी हैं जुल्फें, और बिखरे हैं उसके जज़्बात,
क्यों आसान नहीं सुलझाना, मुश्किल ढूँढता हूँ।

नाज़ुक बदन पर , नाखून के निशां दागे दर्दनाक,
लूटकर आबरू कौन भागा, वो बुज़दिल ढूँढता हूँ।

ए 'ग़ज़ल' क्यों मौन है, सन्नाटे को चीर के चीख,
छलनी किया जिसने ये दिल , वो बेदिल ढूँढता हूँ।

श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'
 मुहब्बत कैसी बला है!

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बारिश की बूँदों ने यह कैसी नज़ाकत दिखाई, चूम कर उसके अश्कों को, मुहब्बत दिखाई। -श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

#श्वेता #thought #raining  बारिश की बूँदों ने यह कैसी नज़ाकत दिखाई,
चूम कर उसके अश्कों को, मुहब्बत दिखाई।

-श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल'

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