"भीगी हूं जख्मों की बारिश में इस कदर
की अब दर्द से मुलाकात नहीं होती
आदत सी हो गई सौतेलेपन की इस कदर
की अब अपनेपन से बात नहीं होती
ज़ख्मों की तमाम जागीरें मेरे ही हिस्से आई
जमानत तक भी जब्त उनकी ही गई बताई
जिन्होंने मेरी फिक्र की ज़रा सी बात भी उठाईं
दिखावे की हमदर्दियों ने मै बहुत ज्यादा ही सताई
बबली गुर्जर
©Babli Gurjar"