Babli Gurjar

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मन की पीड़ा को शब्द मिल जाते हैं परेशानियों से जूझ लेंगे खुद को समझाते हैं टीस सी उठती है जब जानलेवा परेशानियों में खुद को थामने के हौसला भी हवा बन जाते हैं साहिलों पर तूफ़ान कम नहीं होते गमगीन रहने से गम कम नहीं होते बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#शायरी  मन की पीड़ा को शब्द मिल जाते हैं 
परेशानियों से जूझ लेंगे खुद को समझाते हैं 

टीस सी उठती है जब जानलेवा परेशानियों में 
खुद को थामने के हौसला भी हवा बन जाते हैं 

साहिलों पर तूफ़ान कम नहीं होते
गमगीन रहने से गम कम नहीं होते
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

इस ओर आ रहें हैं बहेलिए बहुत से टोली में आकर दरवाज़े पर खड़े है सारे ही रंगोली में चिड़ियों की बाट सी जोहते सारे बाज़ अपने शिकार टोहते बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#शायरी  इस ओर आ रहें हैं 
बहेलिए बहुत से टोली में 

आकर दरवाज़े पर खड़े है 
सारे ही रंगोली में 

 चिड़ियों की बाट सी जोहते 
सारे बाज़ अपने शिकार टोहते
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

नटखट चुलबुली बेहद खुशमिजाज है घर में बहुमत से अपनी चलाती सरकार है चुटकियों में कर दे बड़े से बड़े इंतजाम दावत के देखने वाले भी अजरज से देखते हैं आंखें मल के हाजिर जवाब बहुत बेहतरीन हंसाती बेहिसाब है बेशक बेटी समझदार बहुत पर बहन भी लाजवाब है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#शायरी  नटखट चुलबुली बेहद खुशमिजाज है 
घर में बहुमत से अपनी चलाती सरकार है 

चुटकियों में कर दे बड़े से बड़े इंतजाम दावत के
देखने वाले भी अजरज से देखते हैं आंखें मल के

हाजिर जवाब बहुत बेहतरीन हंसाती बेहिसाब है 
बेशक बेटी समझदार बहुत पर बहन भी लाजवाब है 
बबली गुर्जर

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पापा की परी नहीं मम्मी की शहजादी हूं पढ़ने लिखने की आदी बाकी कामों से घबराती हूं चाय बना देती हूं पर खाना नहीं बनाती हूं खाने की शौकीन बहुत हूं स्वाद सटीक बताती हूं पूरी कचौड़ी गुझिया पकौड़ी खींच लाती है स्टडी से मै भी साथ बनवाऊंगी मम्मी बन जाएंगी झटपट से बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#कविता  पापा की परी नहीं मम्मी की शहजादी हूं 
पढ़ने लिखने की आदी बाकी कामों से घबराती हूं 
 चाय बना देती हूं पर खाना नहीं बनाती हूं 
खाने की शौकीन  बहुत हूं स्वाद सटीक बताती हूं 
पूरी कचौड़ी गुझिया पकौड़ी खींच लाती है स्टडी से 
मै भी साथ बनवाऊंगी मम्मी बन जाएंगी झटपट से 
बबली गुर्जर

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ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है गैरत की दौलत का मुवावजा अश्कों में पिघल रहा है निक्कमा दुल्हा आज भी सरे आम बिकता है और चौतरफा अफवाह है चलन बदल रहा है बेटी को सदियों से कर्ज़ा चुकाने का जरिया बना रखा है फिर भी इज्जत का मोल ना जाने कैसे बेहिसाब घटता है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#शायरी  ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है 
गैरत की दौलत का मुवावजा अश्कों में पिघल रहा है 
निक्कमा दुल्हा आज भी सरे आम बिकता है  
और चौतरफा अफवाह है चलन बदल रहा है 
बेटी को सदियों से कर्ज़ा चुकाने का जरिया बना रखा है 
फिर भी इज्जत का मोल ना जाने कैसे बेहिसाब घटता है 
बबली गुर्जर

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अपना अपना उजाला अपने साथ लेकर आए हैं मन का घोर अंधेरा फिर भी दूर नहीं कर पाए हैं टूटे हुए ख्वाबों का बंटवारा करने आए है कई कदम साथ चल के भी समझ नहीं पाए है दुनिया से टकराते थे कभी एक दूसरे के लिए अब अलग चलने को छटपटा रहे है किस लिए दम्पतियों में भी वर्चस्व की होड़ इस कदर हावी है खुल जाती है गंठबंधन की डोर जो गाजे-बाजे से बांधी है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#कविता  अपना अपना उजाला अपने साथ लेकर आए हैं 
मन का घोर अंधेरा फिर भी दूर नहीं कर पाए हैं 












टूटे हुए ख्वाबों का बंटवारा करने आए है 
कई कदम साथ चल के भी समझ नहीं पाए है 

दुनिया से टकराते थे कभी एक दूसरे के लिए 
अब अलग चलने को छटपटा रहे है किस लिए 

दम्पतियों में भी वर्चस्व की होड़ इस कदर हावी है 
खुल जाती है गंठबंधन की डोर जो गाजे-बाजे से बांधी है 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar
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