"ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है
गैरत की दौलत का मुवावजा अश्कों में पिघल रहा है
निक्कमा दुल्हा आज भी सरे आम बिकता है
और चौतरफा अफवाह है चलन बदल रहा है
बेटी को सदियों से कर्ज़ा चुकाने का जरिया बना रखा है
फिर भी इज्जत का मोल ना जाने कैसे बेहिसाब घटता है
बबली गुर्जर
©Babli Gurjar"