ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है गैर | हिंदी शायरी

"ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है गैरत की दौलत का मुवावजा अश्कों में पिघल रहा है निक्कमा दुल्हा आज भी सरे आम बिकता है और चौतरफा अफवाह है चलन बदल रहा है बेटी को सदियों से कर्ज़ा चुकाने का जरिया बना रखा है फिर भी इज्जत का मोल ना जाने कैसे बेहिसाब घटता है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar"

 ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है 
गैरत की दौलत का मुवावजा अश्कों में पिघल रहा है 
निक्कमा दुल्हा आज भी सरे आम बिकता है  
और चौतरफा अफवाह है चलन बदल रहा है 
बेटी को सदियों से कर्ज़ा चुकाने का जरिया बना रखा है 
फिर भी इज्जत का मोल ना जाने कैसे बेहिसाब घटता है 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

ख़ामोशी अख्तियार कर खताओं से गुजारा चल रहा है गैरत की दौलत का मुवावजा अश्कों में पिघल रहा है निक्कमा दुल्हा आज भी सरे आम बिकता है और चौतरफा अफवाह है चलन बदल रहा है बेटी को सदियों से कर्ज़ा चुकाने का जरिया बना रखा है फिर भी इज्जत का मोल ना जाने कैसे बेहिसाब घटता है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

गुजारा@Sethi Ji @Neel @Ravi Ranjan Kumar Kausik @Lalit Saxena @Ashutosh Mishra @Yogenddra Nath Yogi

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