भीगी हूं जख्मों की बारिश में इस कदर की अब दर्द से | हिंदी शायरी

"भीगी हूं जख्मों की बारिश में इस कदर की अब दर्द से मुलाकात नहीं होती आदत सी हो गई सौतेलेपन की इस कदर की अब अपनेपन से बात नहीं होती ज़ख्मों की तमाम जागीरें मेरे ही हिस्से आई जमानत तक भी जब्त उनकी ही गई बताई जिन्होंने मेरी फिक्र की ज़रा सी बात भी उठाईं दिखावे की हमदर्दियों ने मै बहुत ज्यादा ही सताई बबली गुर्जर ©Babli Gurjar"

 भीगी हूं जख्मों की बारिश में इस कदर 
की अब दर्द से मुलाकात नहीं होती
आदत सी हो गई सौतेलेपन की इस कदर 
की अब अपनेपन से बात नहीं होती 














ज़ख्मों की तमाम जागीरें मेरे ही हिस्से आई 
जमानत तक भी जब्त उनकी ही गई बताई
जिन्होंने मेरी फिक्र की ज़रा सी बात भी उठाईं 
दिखावे की हमदर्दियों ने मै बहुत ज्यादा ही सताई 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

भीगी हूं जख्मों की बारिश में इस कदर की अब दर्द से मुलाकात नहीं होती आदत सी हो गई सौतेलेपन की इस कदर की अब अपनेपन से बात नहीं होती ज़ख्मों की तमाम जागीरें मेरे ही हिस्से आई जमानत तक भी जब्त उनकी ही गई बताई जिन्होंने मेरी फिक्र की ज़रा सी बात भी उठाईं दिखावे की हमदर्दियों ने मै बहुत ज्यादा ही सताई बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

जागीर@R... Ojha @Ashutosh Mishra @Lalit Saxena @Ravi Ranjan Kumar Kausik @Sethi Ji @Bhardwaj Only Budana

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