पश्चाताप (दोहे)
गलती हो यदि आपसे, करना पश्चाताप।
अहंकार को भूल कर, सभी मिटाना पाप।।
कहते हैं सज्जन सभी, जब हो पश्चाताप।
धुल जाते सब पाप हैं, नहीं भटकते आप।।
जान बूझ कर जो करे, गलती बारम्बार।
फिर क्यों पश्चाताप हो, करें नहीं स्वीकार।।
दुर्जन मानव ही करे, सत्कर्मों का नाश।
जीवन उससे रूठता, बन जाता वह लाश।।
जीवन पश्चाताप से, सुंदर और महान।
खुद को नहीं सुधारता, वो कैसा इंसान
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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पश्चाताप (दोहे)
गलती हो यदि आपसे, करना पश्चाताप।
अहंकार को भूल कर, सभी मिटाना पाप।।
कहते हैं सज्जन सभी, जब हो पश्चाताप।