वो बेपरवाह सी सुबह ओश की बूंदों को अपने आप में स | हिंदी Poetry Video

"वो बेपरवाह सी सुबह ओश की बूंदों को अपने आप में समेटें वो हल्की सी नमी बीते वक्त का हिसाब लिखती मेरा हर एक भाव कीमती था मेरा वो वक्त भी कीमती था कैसे वो गैरों के नाम हो गया जज़्बाती दिल समझ न पाया क्यों बेपरवाह सा दिलो का मोहताज हो गया वो पहचान खुद को आईने में तलाश रही हैं खुद का अस्तित्व खोजती उस बेपरवाह सुबह से लड़ रही हैं Bhawana pandey ©Bhawana Pandey "

वो बेपरवाह सी सुबह ओश की बूंदों को अपने आप में समेटें वो हल्की सी नमी बीते वक्त का हिसाब लिखती मेरा हर एक भाव कीमती था मेरा वो वक्त भी कीमती था कैसे वो गैरों के नाम हो गया जज़्बाती दिल समझ न पाया क्यों बेपरवाह सा दिलो का मोहताज हो गया वो पहचान खुद को आईने में तलाश रही हैं खुद का अस्तित्व खोजती उस बेपरवाह सुबह से लड़ रही हैं Bhawana pandey ©Bhawana Pandey

#@bhawanapandrysnowmountain

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