जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। | हिंदी Poetry Video

"जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन होती दुर्दशा, समझो तुम नादान। जल ही जीवन है सदा, बनो नहीं अनजान।। व्यर्थ क्यों तुम गँवा रहे, इसी को अमृत जान। इसके बिन विपदा बड़ी, बात यही तू मान।। कहती है सद्भावना, जल ही है वरदान। ईश्वर ने बक्शा इसे, ये सबकी पहचान।। ईश्वर हैं अब क्रोध में, उनकी शक्ति अपार। मानव को समझा रहे, वे ही बारम्बार।। फिर भी ये समझे नहीं, करें वही सब काम। बिन मतलब ये कर रहे, ईश्वर को बदनाम।। कहते हैं सज्जन सभी, जल से ही उद्धार। जल संकट जब से हुआ, देख पड़ रही मार।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit "

जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन होती दुर्दशा, समझो तुम नादान। जल ही जीवन है सदा, बनो नहीं अनजान।। व्यर्थ क्यों तुम गँवा रहे, इसी को अमृत जान। इसके बिन विपदा बड़ी, बात यही तू मान।। कहती है सद्भावना, जल ही है वरदान। ईश्वर ने बक्शा इसे, ये सबकी पहचान।। ईश्वर हैं अब क्रोध में, उनकी शक्ति अपार। मानव को समझा रहे, वे ही बारम्बार।। फिर भी ये समझे नहीं, करें वही सब काम। बिन मतलब ये कर रहे, ईश्वर को बदनाम।। कहते हैं सज्जन सभी, जल से ही उद्धार। जल संकट जब से हुआ, देख पड़ रही मार।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

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जल संकट (दोहे)

जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल।
जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।।

जल बिन होती दुर्दशा, समझो तुम नादान।

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