जैसे बादल का टुकड़ा ओढ़े आज सर्द रात से मिलने आया है | हिंदी Shayari

"जैसे बादल का टुकड़ा ओढ़े आज सर्द रात से मिलने आया है चाँद , किसी रोज़ पुराने मरासिम ओढ़े एक-दूसरे से मिलने आएँगे हम-तुम ©Pranav Santvan"

 जैसे बादल का टुकड़ा ओढ़े आज
सर्द रात से मिलने आया है चाँद  ,
किसी रोज़ पुराने मरासिम ओढ़े
एक-दूसरे से मिलने आएँगे हम-तुम

©Pranav Santvan

जैसे बादल का टुकड़ा ओढ़े आज सर्द रात से मिलने आया है चाँद , किसी रोज़ पुराने मरासिम ओढ़े एक-दूसरे से मिलने आएँगे हम-तुम ©Pranav Santvan

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