बुझी सी राख को अंगार करके छोड़ेगा, ज़माना इश्क को

"बुझी सी राख को अंगार करके छोड़ेगा, ज़माना इश्क को तकरार करके छोड़ेगा। वो कल पूछ रहा था मैं शायर कब से हो गया, ये उसका इश्क है गुलज़ार करके छोड़ेगा।।"

 बुझी सी राख को अंगार करके छोड़ेगा,
ज़माना इश्क को तकरार करके छोड़ेगा।
वो कल पूछ रहा था मैं शायर कब से हो गया,
ये उसका इश्क है गुलज़ार करके छोड़ेगा।।

बुझी सी राख को अंगार करके छोड़ेगा, ज़माना इश्क को तकरार करके छोड़ेगा। वो कल पूछ रहा था मैं शायर कब से हो गया, ये उसका इश्क है गुलज़ार करके छोड़ेगा।।

@kavya Kumari @komal gaikwad Jhon Kandari ✔️ @Anshuman tripathi @Secret _poet(aakas_sharmaa) #__u

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