किस्सा ए इश्क़ में किरदार लाज़वाब देते गए,
वो दिमाग से पूछता रहा हम दिल से जबाब देते गए।
खुदा ने पूछा इश्क़ के बाद की खुशियों का सबब,
हाथ में दिल पकड़ कर गमों का हिसाब देते गए।।
अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो,
ना जाने कब तेरे पिंजरे से हम रिहा हो जाऎं।
खुदा फिर उसको ना रूबरू करना मुझसे ,
ना जाने कौन सी अदा पे फिर फिदा हो जाएं।
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