अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो, ना जाने कब तेरे प
"अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो,
ना जाने कब तेरे पिंजरे से हम रिहा हो जाऎं।
खुदा फिर उसको ना रूबरू करना मुझसे ,
ना जाने कौन सी अदा पे फिर फिदा हो जाएं।"
अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो,
ना जाने कब तेरे पिंजरे से हम रिहा हो जाऎं।
खुदा फिर उसको ना रूबरू करना मुझसे ,
ना जाने कौन सी अदा पे फिर फिदा हो जाएं।