White मेट्रो की भीड़ में एक परी सी मिली,
जुल्फें खुली, चेहरा जैसे सबसे हसीन।
जीन्स और लाइन वाली शर्ट में लिपटी,
गोरी चमक में बालों से खेलती अदा बिखेरती।
हंसी उसकी, ओह! जैसे चांदनी छिटकी,
जमीन पर चांद उतर आया हो जैसे।
उस हंसी में खो गया हर गम,
और रोशन हो गया हर एक चेहरा उसके संग।
उस भीड़ में वो अकेली सी लगी,
जैसे बहारों का खिला एक फूल।
उसकी आँखों में नज़र आया एक सपना,
जैसे तारों भरी एक रात का जूनून।
उसकी मुस्कान में छिपी कहानियाँ अनेक,
जैसे किताबों में बसे जीवन के रंग।
वो चली जैसे हवा में लहराती डाली,
और उसके जाने से लगा जैसे कुछ खो गया हो पल में।
©Love Joshi
kaash vo phir dubara mile
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