जब गम की धूप ने दिल को जलाया,
रोते रोते भी हमने मुस्कुराया।
आँसू की चादर में छुप के वो हँसी,
जैसे बादल से चाँद ने झाँका, शरमाया।
दर्द की इस घड़ी में भी आशा की लौ,
रोते रोते मुस्कुराने का हुनर, दिल ने पाया।
हर आँसू में छिपा था एक ख्वाब नया,
रोते रोते भी जीने का मजा आया।
जिंदगी के इस सफर में, जब भी तूफान आया,
रोते रोते भी एक नया सवेरा लाया।
आँसू की छोटी सी बूँद ने, जब भी गाल छुआ,
रोते रोते मुस्कुराने का हुनर, दिल ने सिखाया।
हर खुशी है चाहती, बस एक बहाना तेरा,
रोते रोते मुस्कुराने का हुनर, तूने दिखाया।
दर्द की इस रात में, जब भी चाँदनी आई,
रोते रोते मुस्कुराने का हुनर, फिर से जगाया।
©Love Joshi
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