White कुछ भूली बिसरी यादों की, हम सेज सजाकर बैठे हैं,
कुछ दर्द भुलाकर बैठे हैं, कुछ अश्क बहाकर बैठे हैं।
कलम की लेकर बैसाखी, कोरे पन्नों को भर दूं क्या?
या रंगों की ले पिचकारी, यादों को रंग में रंग दूं क्या?
कुछ नए कलेवर में ढलकर, रंग पांव महावर बैठे हैं,
चूड़ी खनकाकर बैठे हैं, पायल झनकाकर बैठे हैं।
तारों से लेकर चंचलता, तेरी आंखों में भर दूं क्या?
या अपने होठों का कंपन, तेरे होठों पर धर दूं क्या?
लेकर जुगनू की जगमग को, पलकों को झुकाकर बैठे हैं,
दिल को धड़काकर बैठे हैं, चेहरे को छुपाकर बैठे हैं।
मेंहदी से प्यार का रंग लेकर, तेरे सपनों में भर दूं क्या?
या अपने गालों की लाली, तेरे गालों पर मल दूं क्या..?
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©Neel
प्यार का रंग 🍁