ये बेटियों की कुर्बानी नहीं कुल्हाड़ी है समाज और हर परिवार के पैरों पर।
जब तक बेटी/नारी की स्थिति नहीं सुधरेगी हमारे घरों में तब तक समाज से किसी तरह की बुराई का खत्म होना एक सपना है।
बेटियों को आगे बढ़ाने अपने पैरो पर खड़ा करना,उनको छोटी छोटी बातों चीजों में राय देने फैसला सुनाने के काबिल बनाना जैसे हमारे बेटे किसी और के भरोसे नही रहते खुद कुछ करते है तो कितना गर्व होता है बहनों को मां पिता सभी को, तब हम नही देखते के जमाना और धर्म क्या कहता है, कोई कुछ भी कहता हो लेकिन हमें अपने बच्चो का अपने घ