White नैनों से नैन मिले ही थे आंखों ने ही था इजहार | हिंदी Poetry

"White नैनों से नैन मिले ही थे आंखों ने ही था इजहार किया दिल ने दिल को समझा और दिल ने ही इकरार किया फिर प्रेम गीत के राग छिड़े इश्क़ के कोपल नए उगे हम अनायास ही उनके झील से नयनों के लहरों में डूबे बाते हुई और होती गई इश्क भी कुछ परवान चढ़ा मुझसे ज्यादा उनके मन में अंकुर प्रेम का पला बढ़ा फिर दोनो ही मिलने भी लगे कभी रस्ते चौक चौबारो में कभी छुप छुप मिल जाते हम गलियों और बाजारों में कुछ दिन बीते चिंता बढ़ी कि क्या होगा अब अंजाम प्रिये इस सोच में डूबे डूबे होने लगे सुबह और शाम प्रिये कुछ शर्ते उसने रखी थीं कुछ बातों पर वो राजी थे हम तो ठहरे सीधे सादे पंडित पर अब्बा उसके काज़ी थे फिर बात बात पर बहस हुई और बातो में तकरार हुआ फिर ताना तानी बढ़ने लगीं जीना भी जब दुश्वार हुआ तो उसने मुझसे कहा प्रिये घर छोड़ चलो संग भाग मेरे यह दुसह विरह सही जाय न अब हर लो सब संताप मेरे उसके संग जीवन जीना है मन में मैने भी ठान लिया दुनियां से भी लड़ भिड़ जाऊं वो राजी है जब जान लिया घर पर मैने यह बात कहीं पूछा क्या उचित है क्या हैं सही सबने हाथ कर लिए खड़े कोई संग मेरे था खड़ा नही.... ©Ankur tiwari"

 White नैनों से नैन मिले ही थे आंखों ने ही था इजहार किया 
दिल ने दिल को समझा और दिल ने ही इकरार किया
फिर प्रेम गीत के राग छिड़े इश्क़ के कोपल नए उगे 
हम अनायास ही उनके झील से नयनों के लहरों में डूबे
बाते हुई और होती गई इश्क भी कुछ परवान चढ़ा 
मुझसे ज्यादा उनके मन में अंकुर प्रेम का पला बढ़ा 
फिर दोनो ही मिलने भी लगे कभी रस्ते चौक चौबारो में
कभी छुप छुप मिल जाते हम गलियों और बाजारों में
कुछ दिन बीते चिंता बढ़ी कि क्या होगा अब अंजाम प्रिये 
इस सोच में डूबे डूबे होने लगे सुबह और शाम प्रिये 
कुछ शर्ते उसने रखी थीं कुछ बातों पर वो राजी थे 
हम तो ठहरे सीधे सादे पंडित पर अब्बा उसके काज़ी थे 
फिर बात बात पर बहस हुई और बातो में तकरार हुआ 
फिर ताना तानी बढ़ने लगीं जीना भी जब दुश्वार हुआ
तो उसने मुझसे कहा प्रिये घर छोड़ चलो संग भाग मेरे 
यह दुसह विरह सही जाय न अब हर लो सब संताप मेरे 
उसके संग जीवन जीना है मन में मैने भी ठान लिया 
दुनियां से भी लड़ भिड़ जाऊं वो राजी है जब जान लिया
घर पर मैने यह बात कहीं पूछा क्या उचित है क्या हैं सही 
सबने हाथ कर लिए खड़े कोई संग मेरे था खड़ा नही....

©Ankur tiwari

White नैनों से नैन मिले ही थे आंखों ने ही था इजहार किया दिल ने दिल को समझा और दिल ने ही इकरार किया फिर प्रेम गीत के राग छिड़े इश्क़ के कोपल नए उगे हम अनायास ही उनके झील से नयनों के लहरों में डूबे बाते हुई और होती गई इश्क भी कुछ परवान चढ़ा मुझसे ज्यादा उनके मन में अंकुर प्रेम का पला बढ़ा फिर दोनो ही मिलने भी लगे कभी रस्ते चौक चौबारो में कभी छुप छुप मिल जाते हम गलियों और बाजारों में कुछ दिन बीते चिंता बढ़ी कि क्या होगा अब अंजाम प्रिये इस सोच में डूबे डूबे होने लगे सुबह और शाम प्रिये कुछ शर्ते उसने रखी थीं कुछ बातों पर वो राजी थे हम तो ठहरे सीधे सादे पंडित पर अब्बा उसके काज़ी थे फिर बात बात पर बहस हुई और बातो में तकरार हुआ फिर ताना तानी बढ़ने लगीं जीना भी जब दुश्वार हुआ तो उसने मुझसे कहा प्रिये घर छोड़ चलो संग भाग मेरे यह दुसह विरह सही जाय न अब हर लो सब संताप मेरे उसके संग जीवन जीना है मन में मैने भी ठान लिया दुनियां से भी लड़ भिड़ जाऊं वो राजी है जब जान लिया घर पर मैने यह बात कहीं पूछा क्या उचित है क्या हैं सही सबने हाथ कर लिए खड़े कोई संग मेरे था खड़ा नही.... ©Ankur tiwari

#love_shayari
कुछ शर्ते उसने रखी थीं कुछ बातों पर वो राजी थे
हम तो ठहरे सीधे सादे पंडित पर अब्बा उसके काज़ी थे
फिर बात बात पर बहस हुई और बातो में तकरार हुआ
फिर ताना तानी बढ़ने लगीं जीना भी जब दुश्वार हुआ
तो उसने मुझसे कहा प्रिये घर छोड़ चलो संग भाग मेरे
यह दुसह विरह सही जाय न अब हर लो सब संताप मेरे
उसके संग जीवन जीना है मन में मैने भी ठान लिया

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