White अब बस मेरा हृदय मौन चाहता है,
अविरल सी बहती इस जिंदगी में कुछ ठहराव चाहता है।
कब तक मेरे शब्द चीखें कि मैं सत्य हूँ, सच्चाई हूँ,
मैं भी हूँ इन्सान, दर्द मुझे भी होता है, मैं भी ईश्वर द्वारा बनाई हूँ।
पर अब जिसे जो समझना है, वह मुझे वही समझे,
मैं गलत नहीं हो जाऊंगी किसी के कहने भर से।
मैं सही थी, हूँ और रहूंगी क्यों यह प्रमाण दूं?
मैं नारी हूँ इसलिए क्यों हर बार माँ सीता जैसे अग्निपरीक्षा दूं?
जैसी भी हूँ अच्छी हूँ, अब यही कहना चाहती हूँ,
हाँ, मैं इस भागती सी जिंदगी में 'सुकून सा' ठहराव चाहती हूँ।
अधरों पर मौन धर, आंखों में ज्वाला भर,
अब अपनी कलम के जरिये ही सवाल करने वालों को जवाब देना चाहती हूँ।
अब समझी हूँ, मौन का ये अर्थ है, बाकी सब व्यर्थ है,
सारे वेदों को भी लील जाए, मौन इतना समर्थ है, इसलिए अब बस मैं मौन रहना चाहती हूँ।
मौन से मिल कर स्वयं से मिलना चाहती हूँ
अब बस मेरा हृदय मौन चाहता है,
अविरल सी बहती इस जिंदगी में कुछ ठहराव चाहता है।
- नेहा
©Neha
#sad_shayari