White भारत माता के लाल
भारतीय सेना के पराक्रम के किस्से यूँ तो कम नहीं है,
1999 के कारगिल युद्ध की गाथा आज भी है सबको याद।
जब युद्ध में भारतीय जवानों ने 18 हजार फीट की खड़ी ऊंचाई और -10 डिग्री सेल्सियस तापमान पर था युद्ध लड़ा।
यूँ तो कारगिल युद्ध में राजेश सिंह अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता जैसे बहुत से थे वीर महान,
लेकिन उनमें एक जवान कैप्टन विक्रम बत्रा नाम जो कि जम्मू- कश्मीर राइफल्स की 13 वीं बटालियन में थे कप्तान।
'दिल मांगे मोर' का नारा लगा युद्ध में दुश्मनों को भगाया था,
बचपन से था सेना में जाने का मन सबको बहादुरी का पाठ का सिखाया था।
शरीर में घाव लेकर भी दुश्मनों को मार गिराया था।
श्रीनगर - लेह मार्ग की चोटी पर तिरंगा फहराया था।
इसी बहादुरी और निडरता के कारण ही वह "शेरशाह" कहलाया था।
जीवन अपना देश पर कर कुर्बान पहला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान "परमवीर चक्र" सम्मान पाया था।
"तिरंगा लहराकर आऊंगा नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा" कहने वाला आखिर शान से तिरंगे में ही लिपट कर आया था।
जिसने अपनी माँ से पहले समझा जन्मभूमि को, धन्य है वह जननी जिसने विक्रम बत्रा सा पुत्र पाया था।
विक्रम जी जैसे ही बहुत से हमारे वीर सैनिक जिनसे दुश्मन घबराया है।
गर्व है मुझे मैं ऐसे देश की बेटी जहाँ खतरे का सामना करते हुए भी दुर्गम चोटियों पर हमारे वीरों ने तिरंगा फहराया है।
- नेहा प्रसाद
©Neha
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