छुप छुप कर रोज तुम्हें देखते हैं अक्सर
हर रोज़ तेरा ही अक्स आंखों में बसाते है
मन ही मन खुश हो जाते है तूझे सोचकर
करके तेरी बाते हम अपना दिन बिताते हैं
तेरा काजल तेरी बिंदिया तेरी लाली का ख्याल है
हर रोज़ अपने सपनो में हम तुझे सजाते है
आईने को भी रहती हैं शिकायत तुझसे अक्सर
देख कर हसीं ये सूरत चांद तारे भी जल जाते है
तेरी मदमस्त सी आंखों में डूब जाने का दिल हैं
कल्पनाओं में अक्सर इनमे गोते लगाते हैं
घनघोर काली घटाओं सी तेरी जुल्फों के छाव में
हर रोज़ हम अपने सुबह ओ शाम बिताते है
जब भी कहने को होता कि इश्क़ हैं मुझे तुमसे
कहते कहते वही कहीं मेरे लब रुक जाते है
और पूरा नहीं हो पाता है यह स्वप्न मेरा किसी दिन
अलार्म बजने लगता है और हम नींद से उठ जाते है
@अंकुर तिवारी
©Ankur tiwari
छुप छुप कर रोज तुम्हें देखते हैं अक्सर
हर रोज़ तेरा ही अक्स आंखों में बसाते है
मन ही मन खुश हो जाते है तूझे सोचकर
करके तेरी बाते हम अपना दिन बिताते हैं
तेरा काजल तेरी बिंदिया तेरी लाली का ख्याल है
हर रोज़ अपने सपनो में हम तुझे सजाते है
आईने को भी रहती हैं शिकायत तुझसे अक्सर