Men walking on dark street पाल रखे कितने मंसूबे, | हिंदी शायरी

"Men walking on dark street पाल रखे कितने मंसूबे, नाव किनारे पर आ डूबे, लहरों ने की है सरगोशी, बनता फिरता था वो दूबे, नियमावली ताक पे रखके, करने निकला सात अजूबे, क़िस्मत ने जब साथ दिया, फतह किए कितने ही सूबे, महारथी अब ढेर हुए सब, घर वापस आया बन चौबे, अक्ल ठिकाने आई ज्युँ ही, हुए तीन तेरह थे नब्बे, वफादार दलबदलू 'गुंजन', बदले मुफ़्ती और महबूबे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 Men walking on dark street पाल रखे  कितने मंसूबे,
नाव किनारे पर आ डूबे,

लहरों ने  की है सरगोशी,
बनता फिरता था वो दूबे,

नियमावली ताक पे रखके,
करने निकला सात अजूबे,

क़िस्मत ने जब साथ दिया, 
फतह किए कितने ही सूबे,

महारथी  अब ढेर हुए सब, 
घर  वापस आया बन चौबे,

अक्ल ठिकाने आई ज्युँ ही, 
हुए   तीन  तेरह   थे  नब्बे,

वफादार  दलबदलू 'गुंजन',
बदले मुफ़्ती  और  महबूबे,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

Men walking on dark street पाल रखे कितने मंसूबे, नाव किनारे पर आ डूबे, लहरों ने की है सरगोशी, बनता फिरता था वो दूबे, नियमावली ताक पे रखके, करने निकला सात अजूबे, क़िस्मत ने जब साथ दिया, फतह किए कितने ही सूबे, महारथी अब ढेर हुए सब, घर वापस आया बन चौबे, अक्ल ठिकाने आई ज्युँ ही, हुए तीन तेरह थे नब्बे, वफादार दलबदलू 'गुंजन', बदले मुफ़्ती और महबूबे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#नाव किनारे पर आ डूबे#

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