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शहरे दिल में ये तीरगी क्यों है
पास हो कर तू अजनबी क्यों है
पहले बेख़ौफ़ दिल धड़कता था
दिल की धड़कन अभी रुकी क्यों है
लौट कर आ तो तू गई हमदम
फिर भी लगती तिरी कमी क्यों है
चाँद को ढक दिया है बादल ने
चाँद की आँख में नमी क्यों है
तुम "सफ़र" रौशनी को फैलाओ
फैली हर ओर तीरगी क्यों है
ग़ज़ल 24/2022
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ashish malik